Monday 9 May 2011

आखिरी सफर


ओ राही
तुम रुको नही
ओ राही
तुम झूको नही
रूकना तेरा काम नही है
झूकना तेरा काम नही है
सूरज की लाली को देखो
अंबर की थाली को देखो
मरूभूमि की हरियाली को देखो
झरनों की प्रखर धार को देखो
बारिश की बौछार को देखो
मिल जायेगी हिम्मत तुमको
मिल जायेगी राहत तुमको
कौन किसे कब रोक सका है
नियत अच्छी है गर तेरी
मिल जायेगी मंजिल मेरी
गम न कर कोई साथ नही
गम न कर कुछ हाथ नही
एक दिन ऐसा आयेगा
सब तुमको मिल जायेगा
दिल तेरा खिल जायेगा
बाधाओं से डरो नही
धैर्य का दामन छोडो नही
ओ राही तुम चलो वहीं
जहाँ सबेरा खडा है तेरा
वहींआखिरी सफर   है मेरा।

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