Wednesday 18 April 2012

अजब -गजब

जिन्दगी भी क्या अजीबोगरीब खेल  दिखलाती है ? जो सोचते हैं वो होता नही है जो दीखता है उसे समझते नही है .....होना क्या चाहिए ..और होता क्या है ??????बस पल  पल कर न जाने कैसे  ......समय बीत जायेंगे ......वर्तमान अतीत बनकर  यादों में खो जायेंगे ........आइये ऐसी ही कुछ अजब -गजब बात्तों से रूबरू होते हैं ........




घर के दरवाजे
खिड़की को रंग कर
क्या करोगे ???
कुंजी तेरे दिल की
पास है मेरे
उसे कैसे बंद करोगे ??????




पुरवाई तेरे अंगने की
मेरे जख्मों को सहला गई
कोशिश मेरी रंग लाई
कानों में गुनगुना गई .......




छल करके साहिल से
लेना नही कभी थाह .......
बरसाती नदी नही हूँ
हूँ गंगा सी अथाह .......



बेशरम की झाड़ी जैसे
इधर उधर उग गए
डूबाने मुझे चले थे
खुद ही डूब गए .......



मुझ पर तुम इल्जाम
लगा रहे या खुद को
ही कुछ सिखा रहे हो ??????
मेरा चेहरा दिखा रहे
या अपना चेहरा दिखा रहे हो ??????




जो पाना चाहे
मिले नही
जो सोचा नही वो
मिल जाता है
भाग्य कहो या कहो
प्रारब्ध .....
यही जिन्दगी कहलाता है ......

Sunday 15 April 2012

पलकभर आसमान

वक्त के दरिया में सभी
मगरूर हो गए
दौलत और शोहरत के
 नशे में चूर हो गए
एक-एक कर सभी
दोस्त दूर हो गए ??????


नादाँ दिल मेरे ......
ग़मगीन नहीं होना
संग हमेशा रहकर तेरे
गम सारे हर लूंगी
उदासी भरे दो नैनों को
खुशिओं से भर दूंगी .......
बनाने दो उनको
असीमित .अथाह
 दौलतमय जहाँ .....



मालूम है मुझे
खुश रहने के लिए
तुम्हे चाहिए
सिर्फ पलक भर
आसमान ..........
गलत नही है
बात है ये
सोलह आने सच्ची .....
बेफिक्री से जीने के लिए
दिल और दिमाग की
दोस्ती .....
सबसे अच्छी ...............

Friday 6 April 2012

तुम औ मै

तुम  औ मैं
रेल की दो समानांतर
 पटरिया हैं
जो एक दुसरे से
अलग नही हैं
आपस में जुड़े हुए हैं
विश्वास के अटूट बंधन से
 बंधन इतना मजबूत है कि
ये मुसाफिर को उसकी
मंजिल तक पहुचातें हैं .........
साथ साथ चलनेवाले
साथी कहलाते हैं ......
सुन मेरे साथी
मेरी चाहत है
तुम औ मैं
हम बनकर
जीवनपथ पर
एक साथ चलें
तेरे गम मेरे हो
मेरे गम तेरे हो
ज्यादा .....कुछ ....और ..?????? नही.......
क्या तुम मेरे साथ ......
अंतहीन दूरी तक
चलना पसंद करोगे ??????/
मैं ......तेरी ...साथी ...
तुम पर इतना  विश्वास
करती हूँ ......
क्या तुम ??///

मेरे विश्वास कि लाज रखोगे ?