Monday 18 August 2014

क्यों ?

जिन  राहों को छोड़ दिया है 
उन राहों पे जाना क्यों ?

 सूखा  बादल ,प्यासी धरती 
सूरज को मनाना क्यों ?

जिन आँखों से अश्क न निकले 
उन आँखों को रुलाना क्यों ?

समझ से भरे नासमझों को 
बेवजह समझाना क्यों ?

दौलत से जो स्नेह  को तौले 
उन्हें स्नेह  के बोल सिखाना क्यों ? 

चाँद -तारों से भरी  निशा को 
सन्नाटे  से मिलवाना क्यों ?

                                                    
सभी समय की बर्बादी है।